पेइचिंग। लद्दाख में भारतीय जवानों के जवाबी ऐक्शन से तिलमिलाए चीन की सेना और वायुसेना ने तिब्बत के पठार पर बड़ा युद्धाभ्यास शुरू किया है। चीन के परमाणु बम गिराने में सक्षम एच-6 बमवर्षक विमानों ने तिब्बत के ऊंचाई वाले इलाकों में बम गिराने का अभ्यास किया। उधर, चीन की सेना ने भी लाइव फायर ड्रिल किया है। इस दौरान चीनी सेना ने टैंकों से गोले बरसाए और मिसाइलें दागने का अभ्यास किया।
Know why China has bombed near Ladakh
Beijing. Stung by the counter-action of Indian troops in Ladakh, the Chinese Army and Air Force have embarked on a major exercise on the Tibetan plateau. H-6 bombers capable of dropping China’s atomic bombs practiced dropping bombs in high altitude areas of Tibet. On the other hand, the Chinese military has also conducted live fire drills. During this time, the Chinese army practiced shelling tanks and firing missiles.
चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने दावा किया है कि यह युद्धाभ्यास हाल ही में किए गए हैं। चीनी अखबार ने कहा कि पीएलए के सेंट्रल थिएटर कमांड एयर फोर्स ने हाल ही में पठारी इलाके में युद्धाभ्यास किया है। इस अभ्यास में एच-6 बमवर्षक विमानों ने ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट वाई-20 ने हिस्सा लिया।
ग्लोबल टाइम्स ने दावा किया कि चीनी पायलटों ने इतनी ऊंचाई के बाद भी बेहतरीन प्रदर्शन किया।
परमाणु हमले में सक्षम बॉम्बर एच-6
चीनी एच-6 के बॉम्बर को लंबी दूरी पर स्थित टारगेट को निशाना बनाने के लिए डिजाइन किया गया है। यह विमान परमाणु हमला करने में भी सक्षम है।
चीन ने इस विमान को विशेष रूप से अमेरिका के गुआम बेस को निशाना बनाने के लिए शामिल किया है। इसके पिछले मॉडल में मिसाइल की क्षमता सीमित थी लेकिन इसे अपग्रेड कर अब और उन्नत बनाया गया है।
ग्लोबल टाइम्स ने कहा कि चीनी सेना के तिब्बत मिलिट्री कमांड ने 4900 मीटर की ऊंचाई पर लाइव फायर ड्रिल किया है। इस दौरान मिसाइलों सिस्टम का परीक्षण किया गया।
ग्लोबल टाइम्स ने इस अभ्यास का एक वीडियो भी जारी किया है जिसमें चीनी रॉकेट फोर्स रॉकेट दाग रही है। इसके अलावा चीनी टैंकों ने भी अभ्यास में हिस्सा लिया और गोले बरसाए।
भारत की हाइपरसोनिक मिसाइल
रूस के अत्याधुनिक एस-500 एयर डिफेंस सिस्टम के अलावा किसी भी देश के पास हाइपरसोनिक मिसाइलों का रोकने की क्षमता नहीं है। इस तकनीकी की मदद से अब भारत एंटी शिप मिसाइलें बना सकेगा।
ये घातक मसिाइलें पलक झपकते ही शत्रुओं के एयरक्राफ्ट कैरियर को तबाह कर देंगी।
रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि भारत ब्रह्मोस-2 नाम से एंटी शिप हाइपरसोनिक मिसाइल बनाने की तैयारी कर रहा है।
रूस के मदद से तैयार ब्रह्मोस मिसाइल अभी सब सोनिक स्पीड (ध्वनि से तीन गुना ज्यादा रफ्तार) से वार करती है। इस तरह ब्रह्मोस-2 अपने पूर्ववर्ती मिसाइल से दोगुना ज्यादा रफ्तार से वार करेगी।
लद्दाख में भारतीय जमीन पर आंखे गड़ाए बैठा चीन बहुत तेजी से अपनी नौसैनिक क्षमता बढ़ा रहा है। चीन के पास जल्द ही तीन एयरक्राफ्ट कैरियर हो जाएंगे।
इसके अलावा चीन के पास बड़े पैमाने पर डेस्ट्रायर, फ्रीगेट्स और अत्याधुनिक सबमरीन का बेड़ा है।
इसके अलावा चीन अपनी नौसेना के लिए कई घातक हथियार बनाने में जुटा हुआ है।
चीन ने हाल ही में लंबी दूरी तक मार करने वाली डीएफ-27 मिसाइलों का परीक्षण किया था।
विशेषज्ञों का कहना है कि भारत के एंटी शिप हाइपरसोनिक मिसाइलों को बनाने से चीन की टेंशन कई गुना बढ़ जाएगी।
चीन न केवल अपनी ताकत बढ़ा रहा है, बल्कि भारत के धुर विरोधी पाकिस्तान की नौसेना को घातक युद्धपोत और सबमरीन दे रहा है।
चीन के बेल्ट ऐंड रोड इनिशिएटिव में चीन-पाकिस्तान इकनॉमिक कॉरिडोर एक अहम हिस्सा है, दोनों देशों के बीच सैन्य हथियारों को लेकर भी कई डील हुई हैं।
यही नहीं चीन पाकिस्तान के ग्वादर में विशाल नेवल बेस बना रहा है।
अब चीन के हुडॉन्ग-झॉन्गहुआ शिपयार्ड ने पाकिस्तानी नौसेना के लिए बनाया टाइप-054एपी श्रेणी का मल्टिपर्पज स्टेल्थ फ्रीगेट भी लॉन्च कर दिया है। ये फ्रीगेट रेडार को चकमा देने में भी सक्षम है।
पाकिस्तान की नौसेना के पास इस समय केवल नौ फ्रीगेट्स, पांच सबमरीन और 10 मिसाइल बोट और तीन माइनस्वीपर हैं।
चीन से मिल रहे युद्धपोत से पाकिस्तानी नौसेना बेहद घातक हो जाएगी।
ये युद्धपोत 4000 समुद्री मील तक हमला कर सकते हैं और इन पर जमीन से हवा और सबमरीन रोधी मिसाइलें लगी हुई हैं।
पाकिस्तान को ये हथियार 2021-23 के बीच मिल जाएंगे।
पाकिस्तान को मिलने वाली चीनी युआन क्लास की पनडुब्बी दुनिया में सबसे शांत मानी जाने वाली पनडुब्बयिों में से एक है। इन 8 में से 4 वर्ष 2023 पाकिस्तान को मिल जाएंगी।
डीजल इलेक्ट्रिक चीन की इस पनडुब्बी में ऐंटी शिप क्रूज मिसाइल लगी होती हैं।
यह पनडुब्बी एयर इंडिपैंडेंट प्रपल्शन सिस्टम के कारण कम आवाज पैदा करती है, जिससे इसे पानी के नीचे पता लगाना बहुत मुश्किल होता है।
पाकिस्तानी नौसेना ने हाल में ही अपनी एक पनडुब्बी को चीनी नौसेना के युद्धपोतों के बीच कराची में सुरक्षा के लिए तैनात किया था।
हाइपरसोनिक मिसाइल की दुनिया में सबसे आगे रूस चल रहा है। रूस ने अपनी 3एम22 जिरकॉन मिसाइल को तैनात करना शुरू कर दिया है। विशेषज्ञों के मुताबिक भारत की ब्रह्मोस-2 मिसाइल भी जिरकॉन पर आधारित है।
डीआरडीओ अगले पांच साल में स्क्रैमजेट इंजन के साथ हाइपरसोनिक मिसाइल तैयार कर सकता है। इसकी रफ्तार दो किलोमीटर प्रति सेकेंड से ज्यादा होगी।
सबसे बड़ी बात यह है कि इससे अंतरिक्ष में सैटलाइट्स भी कम लागत पर लॉन्च किया जा सकते हैं। आम मिसाइलें बैलस्टिक ट्रैजेक्टरी फॉलो करती हैं। इसका मतलब है कि उनके रास्ते को आसानी से ट्रैक किया जा सकता है।
इससे दुश्मन को तैयारी और काउंटर अटैक का मौका मिलता है जबकि हाइपरसोनिक वेपन सिस्टम कोई तयशुदा रास्ते पर नहीं चलता।
इस कारण दुश्मन को कभी अंदाजा नहीं लगेगा कि उसका रास्ता क्या है। स्पीड इतनी तेज है कि टारगेट को पता भी नहीं चलेगा। यानी एयर डिफेंस सिस्टम इसके आगे पानी भरेंगे।